Toyoto लेके आ रहा है पानी से चलने वाला रोवर, 10 टन वजनी होगा ‘लूनर क्रूजर’

Toyoto "लूनर क्रूजर" (Lunar Cruiser) नामक एक एंबिशस रोवर का निर्माण कर रही है. यह मून रोवर अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा और मंगल ग्रह के सतह पर रहने और खोज करने में मदद करेगा.

News Desk
water powered rover 1

टोयोटा का लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा और बाद में मंगल पर

टोयोटा ने 2019 में जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर हाइड्रोजन से चलने वाले एक मून रोवर (Moon Rover) के विकास की घोषणा की थी. और अब टोयोटा, “लूनर क्रूजर” (Lunar Cruiser) नामक एक एंबिशस रोवर का निर्माण कर रही है. यह मून रोवर अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा और मंगल ग्रह के सतह पर रहने और खोज करने में मदद करेगा. टोयोटा का लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर और बाद में मंगल ग्रह पर मानव की उपस्थिति को बनाए रखने के लिए एक खास वाहन तैयार करना है.

रोवर का वजन लगभग 10 टन होगा

लूनर क्रूजर का डिज़ाइन इस विशेष मिशन को ध्यान में रखकर किया गया है. इसमें अंतरिक्ष यात्रियों को अंदर अंतरिक्ष सूट पहनने की ज़रूरत नहीं होगी. इसके अंदर लगभग 460 क्यूबिक फीट रहने की जगह होगी, जिससे चार यात्रियों के लिए पर्याप्त स्थान होगा. यदि आवश्यकता हो तो इसमें आराम से दो लोगों को रहने के लिए जगह भी होगी. रोवर का वजन तक़रीबन 10 टन की उम्मीद है और इसे चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों का पता लगाने और संसाधनों की खोज के लिए उपयोग किया जाएगा.

लूनर क्रूजर का संचालन विशेष तकनीकों से किया जाएगा जो इसे चंद्रमा के अन्यभागों और मंगल ग्रह की तापमान और धूल से बचाने में मदद करेंगे. रोवर को बिजली सप्लाई के लिए रीजेनरेटिंग फ्यूल टेक्नोलॉजी (Regenerative Fuel Technology) का इस्तेमाल किया जा रहा है

रीजेनरेटिंग फ्यूल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा

यह रोवर इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के माध्यम से पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करेगा, जिसे फिर फ्यूल सेल में संग्रहीत किया जाएगा। इस फ्यूल सेल के इस्तेमाल से मिली पावर का इस्तेमाल रात्रि में किया जाएगा. इससे पहले भेजे जाने वाले रोवर्स ने सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया था, लेकिन चंद्रमा पर रात की अवधि लगभग 14 दिन की होती है, जिससे सौर ऊर्जा से बिजली सप्लाई करना मुश्किल होता है. इसलिए रीजेनरेटिंग फ्यूल टेक्नोलॉजी ने इस समस्या का समाधान प्रस्तुत किया है.

लूनर क्रूजर का मिशन 10 साल के लिए होगा

लूनर क्रूजर के मिशन की लाइफ 10 साल के लिए अनुमानित है और यह एक साल में 42 दिनों तक काम कर सकता है. इसके लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होगी, जिसे भविष्य में लूनर पोल्स से प्राप्त किया जा सकता है. टोयोटा भारतीय और विदेशी अंतरिक्ष संबंधित कंपनियों के साथ मिलकर इस विशाल मिशन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

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