The Partition of India: दो देशों के बीच ऐसे बंटी सेना और संपत्ति का बंटवारा, किसको क्या मिला ?

2 जून 1947 को भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने घोषणा की कि ब्रिटेन ने स्वीकार कर लिया है कि देश को विभाजित किया जाना चाहिए. विभाजन के चलते जहां बड़े पैमाने पर दंगे हुए वहीं अधिकारियों को संपत्तियों, देनदारियों के बंटवारे जैसी कई अन्य समस्याओं का सामना

News Desk
This is how army and property were divided in both the countries

 15 अगस्त, 1947 का ऐतिहासिक दिन जहां भारत 1000 वर्ष की गुलामी से स्वतंत्र हुआ था, वहीं यह दिन भारत राष्ट्र का एक और दुर्भाग्यपूर्ण दिन था। भारत का एक और विभाजन हो गया। भारत का 30 प्रतिशत भाग भारत से कटकर पाकिस्तान नाम से एक अलग देश बन गया। ‘‘पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा’’ की घोषणा करने वाले महात्मा गांधी असहाय से देखते रहे और कांग्रेस के नेताओं ने देश का विभाजन स्वीकार किया।

History Of Partition Of India:

दशकों की लंबी लड़ाई और बलिदान के बाद, भारत को 1947 में दमनकारी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी मिली. लेकिन उपमहाद्वीप को दो अलग-अलग देशों – भारत और पाकिस्तान में विभाजित करने पर जश्न के बजाय हिंसा, दंगे और सामूहिक हत्याएं हुईं.

माउंटबेटन द्वारा स्वतंत्रता की तारीख 15 अगस्त 1947 की पुष्टि करने के तुरंत बाद ब्रिटिश सैनिकों को उनके बैरकों में वापस बुला लिया गया और उसके बाद, कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी भारतीय सेना को सौंप दी गई.

संपति का बंटवारा

संपत्तियों, देनदारियों का बंटवारा विभाजन के चलते अधिकारियों को संपत्तियों, देनदारियों के बंटवारे जैसी कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा. पाकिस्तान को कुल संपती का 17.5% हिस्सा मिला, जिसमे हर 1 चीज पर उनका 17.5% हिस्सा रहा और भारत को 82.5% हिस्सा मिल था

सेना का बंटवारा

इसके बीच, पुरानी भारतीय सेना पाकिस्तान और भारत के बीच बंटी हुई थी. भारतीय सेना की आधिकारिक साइट के अनुसार, ‘देश भर में चल और अचल संपत्तियों के साथ सेना की सक्रिय ताकत को एक जटिल योजना के तहत साझा किया गया, जिसकी निगरानी सर्वोच्च मुख्यालय के रूप में ब्रिटिश उपस्थिति द्वारा की जाती थी.

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