गजब तथ्य: ज्यादा खुश होने पर लोग क्यों रोने लग जाते हैं ? जानिए इसके पीछे का साइंस

अक्सर लोग ये सोचते हैं कि जब आप दुखी होते हैं, गुस्से में होते हैं या हर्ट होते हैं, तभी रोते हैं। इसलिए 'रोना' या 'आंसुओं' को नकारात्मक भावनाओं को व्यक्त करने वाले संकेत से जोड़ दिया गया है। जब लोग रोते हैं, तो सामने वाला यह सोचकर संवेदनशील हो जाता है या सहानुभूति जताने लगता है क्योंकि उसे लगता है कि रोने वाला जरूर बहुत दुखी या परेशान है।

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Why Tears come out even in happiness

हर इंसान के अंदर फीलिंग्स होती हैं. और ये फीलिंग्स या जज्बात कभी खुशी के रूप में तो कभी आंसूओं के रूप में नजर भी आते हैं. मतलब जब हम ज्यादा खुश होते हैं तो वो खुशी हमारे चेहरे पर दिखती है. वहीं अगर हम दुखी होते हैं तो हमें रोना आता है , लेकिन क्या आपने गौर किया है कि इंसान जब ज्यादा खुश होता है तो भी उसकी आंखों से आंसू आते हैं, आम बोल चाल की भाषा में इसे खुशी के आंसू कहा जाता है. आपको शायद आंसूओं के पीछे का विज्ञान नहीं पता होगा. तो चलिए जानते हैं आंसुओं के पीछे का साइंस कि आखिर ऐसा क्यों और कैसे होता है?

ये 2 वजह है आँसू आने की

BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक हंसते-हंसते रोने, यानी आंसू निकलने के पीछे 2 वजहें हैं. इसमें पहली वजह ये कि जब हम खुलकर हंसते हैं, तो हमारे चेहरे की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से काम करने लगती हैं. ऐसा होने पर हमारी अश्रु ग्रंथियों (Lacrimal Glands) से भी दिमाग का नियंत्रण हट जाता है और आंसू निकल पड़ते हैं.

इमोशनल होने की वजह से निकाल आते है आँसू

इसकी दूसरी वजह ये मानी जाती है कि बहुत ज्यादा हंसने पर व्यक्ति इमोशनल (Emotional) हो जाता है. ज्यादा इमोशनल होने की वजह से चेहरे की कोशिकाओं पर पड़ने वाला दबाव बढ़ जाता है. जिसके चलते आपके आंसू निकल जाते हैं. ऐसा करके हमारा शरीर आंसूओं के जरिए हमारे तनाव को संतुलित करने की कोशिश करता है.

पुरुषों के मुकाबले महिलाएं होती हैं ज्यादा इमोशनल

दरअसल ये पूरी प्रक्रिया हर शख्स के लिए अलग-अलग हो सकती है. कई लोग कम रोते हैं, तो वहीं कई लोग बहुत जल्दी भावुक हो जाते हैं. साथ ही महिला या पुरुष होने से भी इस पूरी प्रक्रिया पर फर्क आ जाता है. माना जाता है महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा भावुक होती हैं. ऐसे में महिलाओं के साथ हंसते-हंसते आंसू निकलने के चासेंज ज्यादा होते हैं.

हार्मोन्स निभाता है अहम भूमिका

कम या ज्यादा भावूक होने के पीछे हमारे शरीर के हार्मोन की भी अहम भूमिका होती है. बाल्टीमोर की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट प्रोवाइन कहते हैं कि हंसने और रोने पर दिमाग का एक ही हिस्सा एक्टिव होता है . लगातार हंसने या रोने पर दिमाग की कोशिकाओं पर ज्यादा तनाव पड़ता है. ऐसे में शरीर में कॉर्टिसोल और एड्रिनालाइन नामक हॉर्मोन्स निकलने लगते हैं. यही हॉर्मोन्स हंसते या रोते वक्त शरीर में होने वाली विपरीत प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं.

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