मुख्य चुनाव आयुक्त विधेयक: कमेटी में नहीं CJI, सीएम ममता बोलीं- ‘माई लॉर्ड, हमारे देश को बचा लो’

संसद में पेश किए गए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

News Desk
CJIs hands empty in ECs appointment

 केंद्र सरकार ने गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति की शर्तें और कार्यकाल) बिल को राज्यसभा में प्रस्तुत किया। इस बिल को लेकर भी बहस होने लगी है। तीन सदस्यीय पैनल से विपक्ष असहमत है। इस विधेयक के अनुसार, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी अब मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों को चुनेगी। यह कमेटी एक कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष से मिलकर बनाई जाएगी। CJI को नए विधेयक में शामिल नहीं किया गया है।

ममता बनर्जी ने ट्विटर पर जताया विरोध

बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ट्विटर पर कहा कि इस हफ्ते सीईसी की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय पैनल में सीजेआई की भूमिका महत्वपूर्ण है। हम चुनाव आयुक्त के चयन में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को लाने का कड़ा विरोध करते हैं।

न्यायपालिका से कहा- हमारे देश को बचाइए

आगे सीएम बनर्जी ने कहा कि इस प्रक्रिया से असुविधा होगी और वोटों में हेरफेर हो सकता है जिससे नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि भारत को न्यायपालिका के प्रति इस घोर उपेक्षा पर सवाल उठाना चाहिए। हम भारत के लिए न्यायपालिका से अपील करते हैं कि माई लॉर्ड हमारे देश को बचाइए।

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े इस विधेयक पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाना है। वहीं अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा कि यह बिल दिखाता है कि प्रधानमंत्री संसद में बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले को बदल देंगे जो उन्हें पसंद नहीं आएगा।

विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया

विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार को राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पेश किया था। विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच उन्होंने यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया। यह चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कार्य संचालन की शर्तें अधिनियम, 1991 को निरस्त करता है।

इस बिल में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया, उनकी सेवा शर्तों और पदावधि के बारे में नए नियम का उल्लेख है। इसके मुताबिक चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री की तीन सदस्यीय समिति करेगी। इस चयन समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे और यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता यह भूमिका निभाएगा।

Share This Article