इंडिया vs भारत विवाद: विदेश मंत्री जयशंकर से लेकर अधीर रंजन चौधरी तक की प्रतिक्रिया आई सामने, जानिए किसने क्या कहा ?

News Desk
India vs India controversy

इंडिया vs भारत विवाद: भारतीय राजनीति में हाल ही में एक बड़ा विवाद उधर आ गया है, जिसकी शुरुआत राष्ट्रपति भवन से भेजे गए G-20 डिनर के निमंत्रण पत्र से हुई थी और अब यह बड़ता जा रहा है। इस विवाद की शुरुआत इस बात से हुई कि निमंत्रण पत्र में “प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया” की जगह “प्रेसीडेंट ऑफ भारत” लिखा गया था, जिसे लेकर विपक्ष ने सरकार को भारत के नाम को बदलने का आरोप लगाया है।

राजनीतिक दलों की राय

इस विवाद के माध्यम से कई राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी है:

  1. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के नाम को खतरनाक माना है। उन्होंने कहा कि इंडिया नाम बहुत खतरनाक हो सकता है और उन्होंने इस नाम का विमर्श किया।
  2. विदेश मंत्री एस. जयशंकर: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संविधान के महत्व को बताया और कहा कि भारत और इंडिया दोनों ही देश के आधिकारिक नाम हैं।
  3. अधीर रंजन: विपक्ष के नेता अधीर रंजन ने हिंदू नाम के बदलने की भी प्रस्तावना दी और कहा कि हिंदू नाम भी विदेशी है और उसे बदलना चाहिए।
  4. सुमित्रा महाजन: पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बताया कि भारत और इंडिया नामों के विवाद की कोई आधिकारिक आपत्ति नहीं है और इंडिया नाम का विकास अंग्रेजों की देन है।
  5. अरविंद केजरीवाल: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश 140 करोड़ लोगों का है और यह किसी एक पार्टी का नहीं है, और अगर इंडिया गठबंधन अपना नाम बदलकर भारत कर लेता है, तो क्या वे भारत नाम भी बदलेंगे।
  6. ममता बनर्जी: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी और कहा कि दुनिया हमें इंडिया के नाम से जानती है और अचानक नाम को बदलने की क्या आवश्यकता है।
  7. शशि थरूर: कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने बताया कि भारत और इंडिया दोनों ही नाम स्वीकृत हैं और विवाद करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

जनमत सर्वेक्षण

इस विवाद को लेकर जनमत सर्वेक्षण कराया गया है, जिसमें जनता से नाम के बदलाव के बारे में पूछा गया। इस सर्वेक्षण में से एक बड़ा हिस्सा ने भारत के नाम के पक्ष में वोट दिया है, जबकि कुछ लोग इंडिया के नाम के पक्ष में थे।

निष्कर्ष

इस विवाद का अंत अभी तक स्पष्ट नहीं है और यह राजनीतिक दलों के बीच में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। विभिन्न दलों के नेताओं ने इसे अपने प्रतिपक्ष के खिलाफ जारी रखने का इंटरेस्ट दिखाया है, और इसका नाम बदलाव कितनी अहमियत रखता है, यह भारतीय समाज की राय के आधार पर तय होगा।

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