दशानन रावण पुत्री सुवर्णमछा देखते ही कर बैठी रामभक्‍त हनुमान जी से प्रेम, और फिर…

दशानन रावण के 7 पुत्र थे लेकिन सात बेटों के अलावा रावण की एक बेटी भी थी। यही नहीं, Ramayana In Southeast के इन संस्करण में रावण की बेटी को हनुमानजी से प्रेम होने का जिक्र भी किया गया है।

News Desk
Daughter Of Ravana

Daughter Of Ravana: रामायण भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। श्रीराम संकटमोचन के भक्त दुनिया भर में हैं और उनसे जुड़ी कई कहानियां भी मशहूर हैं। वाल्मीकि रामायण के अतिरिक्त अनेक देशों में रामायण के विभिन्न संस्करण उपलब्ध हैं। जिसमें रावण की बेटी का जिक्र है। यही नहीं, उनमें रावण की बेटी को हनुमान जी से प्रेम होने का उल्‍लेख भी किया गया है। हालांकि, वाल्मिकी रामायण या तुलसीदासजी कृत रामचरित मानस में रावण की बेटी का जिक्र नहीं मिलता है। आज हम बताएंगे कौन-कौन सी रामायण में रावण की बेटी से जुड़ी कहानियां लिखी गई हैं।

वाल्मिकी रामायण के बाद दक्षिण भारत ही नहीं कई देशों में रामायण को अपने-अपने तरीके से लिखा गया है। इनमें से ज्‍यादातर रामायण में श्रीराम के साथ ही रावण को भी काफी महत्‍व दिया गया है। इसीलिए श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, माली, थाईलैंड और कंबोडिया में रावण को भी पूरी अहमियत दी जाती है। रावण की बेटी का उल्‍लेख भी थाईलैंड की रामकियेन रामायण और कंबोडिया की रामकेर रामायण में किया गया है।

क्‍या कहती हैं रामकियेन रामायण-रामकेर रामायण?

बता दें कि थाईलैंड की रामकिन रामायण और कंबोडिया की रामकर रामायण में रावण की बेटी का जिक्र है। इन संस्करणों के अनुसार, रावण की तीन पत्नियों से 7 पुत्र थे। इनमें पहली पत्नी मंदोदरी से दो मेघनाद और अक्षय कुमार थे। तो उनकी दूसरी पत्नी धन्यमालिनी से उन्हें अतिकाया और त्रिशिरा नाम के दो पुत्र हुए। तीसरी पत्नी से उन्हें प्रहस्त, नरान्तक और देवतांका नाम के 3 पुत्र हुए। कहा जाता है कि 7 पुत्रों के अलावा रावण की 1 पुत्री भी थी। जिनका नाम सुवर्णमच्छ या सुवर्णमतस्य था।

कहा जाता है कि सुवर्णमच्छा देखने में बहुत सुंदर थी। सुवर्णमच्छ का शाब्दिक अर्थ है सोने की मछली। सुवर्णमतस्य का आधा शरीर मनुष्य जैसा और आधा मछली जैसा था। उसे सुनहरी जलपरी भी कहा जाता है। इसीलिए थाईलैंड और कंबोडिया में सुनहरी मछली की पूजा की जाती है।

रावण ने पुत्री सुवर्णमछा को योजना नाकाम करने के लिए भेजा

वाल्मिकी रामायण के थाई और कंबोडियाई सस्‍करणों के मुताबिक, श्रीराम ने लंका पर विजय अभियान के दौरान समुद्र पार करने के लिए नल और नील को सेतु बनाने का काम सौंपा। श्रीराम के आदेश पर जब नल और नील लंका तक समुद्र पर सेतु बना रहे तो रावण ने अपनी बेटी सुवर्णमत्‍स्‍य को ही ये योजना नाकाम करने का काम सौंपा था। पिता की आज्ञा पाकर सुवर्णमछा ने वानरसेना की ओर से समुद्र में फेंके जाने पत्‍थरों और चट्टानों को गायब करना शुरू कर दिया। उसने इस काम के लिए समुद्र में रहने वाले अपने पूरे दल की मदद ली।

सुवर्णमछा देखते ही कर बैठी रामभक्‍त हनुमान जी से प्रेम

रामकियेन और रामकेर रामायण के अनुसार, राम सेतु निर्माण के दौरान जब वानरसेना की ओर से डाले जाने वाले पत्‍थर गायब होने लगे तो हनुमानजी ने समुद्र में उतरकर देखा कि आखिर ये चट्टानें जा कहां रही हैं? तब उन्‍होंने देखा कि पानी के अंदर रहने वाले लोग पत्‍थर और चट्टानें उठाकर कहीं ले जा रहे हैं। ऐसे में हनुमान जी ने उनका पीछा किया तो देखा कि एक मत्‍स्‍य कन्‍या उनको इस कार्य के लिए निर्देश दे रही है। फिर हनुमान जी सुवर्णमछा के पास गए तब सुवर्णमछा ने जैसे ही हनुमानजी को देखा उसे उनसे प्रेम हो गया।

लेकिन, हनुमान जी सुवर्णमछा के मन की स्थिति भांप गए और फिर सुवर्णमछा को समुद्रतल पर ले गए और पूछा कि आप कौन हैं देवी? तब सुवर्णमछा ने हनुमान जी को बताया कि वह रावण की बेटी है। तब हनुमान जी ने रावण की गलतियों के बारे में सुवर्णमछा को बताया। हनुमानजी के समझाने पर सुवर्णमछा ने सभी चट्टानों को लौटा दिया, जिसके बाद रामसेतु के निर्माण का कार्य पूरा हुआ।

थाईलैंड-कंबोडिया में क्‍यों पूजी जाती है सुनहरी मछली?

दशानन रावण की बेटी सुवर्णमत्‍स्‍य का शरीर सोने की तरह दमकता था। इसीलिए उनको सुवर्णमछा भी कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, सोने की मछली। इसीलिए थाईलैंड और कंबोडिया में सुनहरी मछली को ठीक उसी तरह से पूजा जाता है, जैसे चीन में ड्रेगन की पूजा होती है। हालांकि, थाईलैंड में कुछ जगहों पर उन्‍हें ऐतिहासिक थाई पात्र तोसाकांथ की बेटी भी बताया गया है।

रामायण के बाद दसवीं शताब्दी में कंबन ने रामायण महाकाव्य लिखा, जो दक्षिण में बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ। हालांकि, ये स्‍पष्‍ट है कि दुनियाभर में लिखी गईं सभी रामायण महर्षि वाल्मिकी की रचना से ही प्रेरित रही हैं। क्‍योंकि, सभी रामायण में ना राम बदले, ना स्‍थान और ना ही उनके उद्देश्‍य में कोई परिवर्तन हुआ।

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